Varalakshmi Vrat Katha in Hindi~वरलक्ष्‍मी व्रत कब है जानिए व्रत कथा, पूजा विधि एवं शुभ मुहूर्त

Varalakshmi Vrat Katha in Hindi:- हमारे सनातन धर्म में ऐसे बहुत सारे व्रत आते है जो माता लक्ष्‍मी का समर्पित होते है। इनमें से एक है वर लक्ष्‍मी व्रत जो हर साल सावन महिने की शुक्‍ल पक्ष तिथि में शुक्रवार के दिन मनया जाता है। आइए जानते है वरलक्ष्‍मी व्रत के बारें में…..

Varalakshmi Vrat Katha in Hindi

वरलक्ष्‍मी व्रत का महत्‍व/Varalakshmi Vrat ka Mahatva

माना जाता है वरलक्ष्‍मी व्रत को केवल शादी शुदा आदमी/महिला ही करती है इसे अष्‍टलक्ष्‍मी व्रत भी कहा जाता है। ऐसी परंपरा है वरलक्ष्‍मी व्रत करने से मनुष्‍य की गरीबी दूर होकर उसका परिवार सौभाग्‍य, सुख, वैभव का आनंद लेता है। यह व्रत माता लक्ष्‍मी का समर्पित है जो धन की देवी है अत: इस व्रत के प्रभाव से माता आपके ऊपर सदैव प्रसन्‍न रहती है।

वरलक्ष्‍मी व्रत कब किया जाता है/Varalakshmi Vrat Kab Hai

परंपरा के अुनसार वरलक्ष्‍मी का व्रत हर साल सावन महिने की शुक्‍लपक्ष की तिथि में जो आखिरी शुक्रवार होता है उसी दिन वरलक्षमी व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत सावन महिने की शुक्‍ल पक्ष में नवमी तिथि के दिन यानी 25 अगस्‍त 2023 शुक्रवार के दिन पड़ रहा है।

वरलक्ष्‍मी व्रत पूजा विधि/Varalakshmi Vrat Puja Vidhi

  • आप पहली बार वरलक्ष्‍मी का व्रत कर रही है तो आपको प्रात: जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होता है।
  • उसके बाद आपको सूर्य भगवान को जल का अर्ष्‍य देकर इस महा व्रत का सकंप्‍ल करना है।
  • अब आपको पूजा के लिए एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर माता लक्ष्‍मी जी और भगवान गणेश जी की प्रतिमा को स्‍थापित करें।
  • उकसे बाद कुमकुम, चंदन, इत्र, धूप, बत्ती, दीपक, कलावा, अक्षत, नैवेद्य, कपूर, आम के पत्ते, सिक्‍का, सुपारी, नारियल, हल्‍दी आदि अपर्ति करके पूजा करें
  • पूजा करने के बाद आपको वरलक्ष्‍मी व्रत कथा पढ़नी है जिसके बाद आपकाे भगवान गणेश जी और माता लक्ष्‍मी जी की आरती करनी है।

व्रत से जुड़ी कुछ बातें

  • मान्‍यताओं के अनुसार इस व्रत वाले दिन श्री सूक्‍त पाठा करना बहुत ही अच्‍छा व फलदायक माना गया है।
  • आपको व्रत वाले दिन माता लक्ष्‍मी जी की तस्‍वीर के आगे कम से कम 24 घंटे तक घी का दीपक जलाकर रखना अति शुभ माना गया है।
  • इनके अलावा यदि आप वरलक्ष्‍मी व्रत पर विष्‍णुसहस्‍त्रनाम का पाठ करते है तो माता लक्ष्‍मी जी आप पर बड़ी प्रसन्‍न होती है।

वर लक्ष्‍मी व्रत भारत में कहा किया जाता है/Varalakshmi Vrat in Hindi

हमारे हिन्‍दु धर्म में माता लक्ष्‍मी जी का जगत जननी माना गया है और पुराणों में इनको धन की देवी बताई हुई है। वरलक्ष्‍मी जी का व्रत सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही किया जाता है आज यह भारत के कई इलाकों में जैेसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्‍ट्र, तमिलनाड़, उड़ीसा आदि राज्‍यों में किया जाता है।

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वरलक्ष्‍मी व्रत से जुड़े तथ्‍य/Swan Varalakshmi Vrat

सनातन धर्म में धन की देवी माता लक्ष्‍मी को बतलाया है जिसे प्रसन्‍न करने के लिए हर साल श्रावन महिने में शुक्‍लपक्ष के आखिरी शुक्रवार को वरलक्ष्‍मी का व्रत किया जाता है। कहा गया है की इस व्रत पर कुछ उपाय करने से धन की देवी आपके घर में आती है

  • मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन महिलाओं को अपने घर के आंगन या मुख्‍य दरवाजे पर रंगोली बनाकर मुख्‍य गेट पर कुमकुम व हल्‍दी से स्‍वास्तिक का चिन्‍ह बनाए। क्‍योंकि हिन्‍दु धर्म में स्‍वास्तिक का चिन्‍ह बहुत शुभ माना गया है।
  • कम से कम 7 कन्‍याओं को घर बुलकार चावल से बनाई हुई खीर जिमवानी चाहिए इससे माता लक्ष्‍मी जी आपके घर में वास करेगी।
  • इस व्रत वाले दिन जो कोई माता लक्ष्‍मी जी का ध्‍यान करते हुए महालक्ष्‍मी गायत्री मंत्र का ” ऊँ श्री महालक्ष्‍म्‍यै च विद्महे विष्‍णु पत्‍नयै च धीमहि तन्‍नो लक्ष्‍मी प्रचोदयात्” का उच्‍चारण लगभग 108 बार करने से माता की कृपा आप पर रहेगी।
  • पुराणों के अनुसार जो पारिजात का पौधा है उसे माता लक्ष्‍मी का माना गया है इसलिए आपको इस व्रत वाले दिन एक हरसिंगार (पारिजात) का पेड़ पूर्व या उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए।

वरलक्ष्‍मी व्रत पूजा का समय/Varalakshmi Vrat Shubh Muhurat

  • सिंह लग्र पूजा का मुहूर्त:- प्रात: 06:14 मिनट से 08:32 मिनट तक
  • वृच्श्रिक लग्र पूजा मुहूर्त:- दोपहर 01:07 से लेकर 03:26 मिनट तक
  • कुंभ लग्र का समय:- अपराह्ल 07:12 मिनट से08:40 तक

पौराणिक मान्‍यता क्‍या है

मान्‍यता है की दूधिया महासागर में वर लक्ष्‍मी जी का अवतार हुआ और यही दूधिया महासागर आज क्षीर सागर के नाम से जाना जाता है। इनका यह रूप सभी को वर देने वाल है कहा जाता है की लक्ष्‍मी जी का यह अवतार सभी की मनोकामनाए पूरी करता है।

वरलक्ष्‍मी व्रत कथा/Varalakshmi Vrat Katha in Hindi

Varalakshmi Vrat ki Katha Hindi:- पौराणिक कथा के तहत किसी समय चारूमती नाम की महिला, जो माता लक्ष्‍मी जी की भक्‍त थी। वह महिला हर रोज शुक्रवार के दिन पूरे नियम से माता लक्ष्‍मी जी की पूजा-अर्चना करती। फिर एक दिन चारूमति के सपनों में आकर माता ने उसे वरलक्ष्‍मी व्रत के बारें में बताया है।

उसके बाद चारूमति पूरे नियम से हर साल वरलक्ष्‍मी का व्रत करने लगी, और उसने अपनी सखीयों को भी इस महाव्रत के बारें में बताया। इस प्रकार चारूमति की सहेलिया भी पूरे विधि-विधान से वरलक्ष्‍मी जी का व्रत करने लगी थी।

इन सभी के व्रत रखने से माता लक्ष्‍मी जी अति प्रसन्‍न हुई और सभी महिलाओं के साथ चारूमति को भी मनचाहा वरदान दिया। कहा जाता है उसी समय से आज भी यह व्रत महिला पूरे विधि-विधान से रखती है।

डिस्‍केमर: आज आप सभी को वरलक्ष्‍मी व्रत Varalakshmi Vrat Katha in Hindi के बारें में कुछ जानकारी प्रदान करी है जो पौराणिक मान्‍यताओं व काल्‍पनिक कथाओं के आधार पर बताया है। आपको यह बताना जरूरी है Onlineseekhe.com किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है। अत: अधिक जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ व विद्धान से सलाह ले, और इस प्रकार आने वाले सभी व्रत व त्‍यौहारों के बारें में पढ़ना चाहते है तो वेबसाइट के साथ बने रहिए।

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