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Ganesh Chaturthi Festival in Hindi 2021 | गणेश चतुर्थी पूजा विध‍ि व कथा हिंदी में पढ़े

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Ganesh Chaturthi Festival 2021 | Ganesh Chaturthi Vrat Katha in Hindi | Chaturthi Vrat Katha | Ganesh Chaturthi Puja Vidhi | Chaturthi Par Puja Vidhi & Shub Muhurat 2021 | गणेश चतुर्थी 2021 । गणेश चतुर्थी व्रत कथा हिंदी में यहा से पढ़े

दोस्‍तो जल्‍दी ही गणेश चतुर्थी का त्‍यौहार Ganesh Chaturthi Vrat katha आने वाला है। वैसे तो हर महीने में 2 चतुर्थीया आती है किन्‍तु शास्‍त्रों व पुराणों एवं हिन्‍दु धर्म के अनुसार सबसे बड़ी गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह की शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को आती है। इस दिन पूरे भारतवर्ष में गणेश चतुर्थी को बड़े ही हर्ष उल्‍लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन सोना, चॉंदी, तांबा, पीतल, गोबर, एवं मिट्टी की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा की जाती है।

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पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान गणेश जी का जन्‍म हुआ था। उनके जन्‍म होने के उपलक्ष में आज भी भाद्रपद की चतुर्थी को गणेश जी जन्‍म दिवस के रूप में मनाया जाता है। कई जगह पर गणेश चतुर्थी का विनायक चतुर्थी के नाम से भी जानते है। यह पर्व चातुर्मास में आता है जिससे चौमास या चातुर्मास कहा जाता है। इन चार महीन में बहुत से पर्व व व्रत आते है। यदि आप भी इस पर्व को मनाते है तो इस लेख के माध्‍यम से बताई हुयी जानकारी को पढ़कर या सुनकर आप पूजा कर सकते है। पोस्‍ट के अंत तक बने रहे।

Ganesh Chaturthi

गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 2021 (Ganesh Chaturthi ka Shubh Muhrat in Hindi)

गणेश चतुर्थी पूजा की तारीख चतुर्थी गणेश चतुथी का वार शुभ मुहूर्त 2021
10 सितम्‍बर 2021 गणेश चतुर्थी शुक्रवार सुबह 11:03 से दोपहर 01:32 मिनट तक
10 सितम्‍बर दोपहर चतुर्थी तिथि‍ शुरू शुक्रवार दोपहर 12:18 मिनट से
10 सितम्‍बर 2021चतुर्थी तिथि समाप्‍त शुक्रवार रात्रि के 09:57 मिनट पर
10 सितम्‍बर 2021 गणेश महोत्‍सवशुक्रवार सुबह 11:11 से 13:41 मिनट पर
19 सितम्‍बर 2021 गणेश महोत्‍सव समाप्‍त रविवार प्रात: 12 बजे से पहले
19 सितम्‍बर 2021 गणेश विसर्जन रविवार ज्ञात नहीं

इस वर्ष गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह की शुक्‍लपक्ष की चतुर्थी आताी है इस गार यह चतुर्थी (विनायक चतुर्थी) 10 सितम्‍बर 2021 शुक्रवार को है। और यह त्‍यौहार पूरे 10 दिनों तक हर्ष व उल्‍लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग भक्ति, संगीत, गायन, डांस एवं नृत्‍य के साथ रंगाे से जुलूस निकाला जाता है। इस त्‍यौहार काे सभी त्‍यौहारो में से खास माना जाता है। क्‍योकिं यह पर्व केवल घर के सदस्‍यो के साथ ही नहीं बल्‍की पूरें गावं व महोल्‍लो के साथ मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग आपस मेें कई प्रकार की प्रतियोगिताओ का आयोजन करते है। और एक दूसरे के साथ मनोरंजन करते है। इस पर्व पर सब आपस की दुश्‍मनी बुलाकर एकता का रिश्‍ता जोड़ लेते है।

विनायक चतुर्थी का महत्‍व (Vinayak Chaturthi ka Mahatva)

  • विनायक चतुर्थी भाद्रपद शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी के अलावा सभी माह की चतुर्थी विनयाक चतुर्थी होती है। इन सभी चतुर्थी पर निसंतान महिलाए संतान प्राप्‍ति के लिए हर महीने में दो बार व्रत रखती है।
  • विनाय चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है जिसका मतलब भगवान से इच्‍छा पूरी करने लिए कहना।
  • प्रत्‍येक माह की गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा दोपहर के समय ही की जाती है।

गणेश चतुर्थी त्‍यौहार व व्रत का महत्‍व (Ganesh Chaturthi Vrat Ka Mahatva)

  • व्‍यक्ति अपने जीवन में सभी प्रकार के सुख व शांति पाने के लिए भाद्रपद माह शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी की पूजा पूरे विधि‍ विधान से करता है।
  • इस दिन औरते संतान प्राप्‍त‍ि के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत (Ganesh Chaturthi Vrat in Hindi) रखती है। एवं अपने परिवार में सुख शांति बनाऐ रखने के लिए मातऐ भगवान गणेश जी की उपासना करती है।
  • हमारे हिंन्‍दु धर्म के अनुसार जब भी कोई शुभ कार्य करते है तो सबसे पहले भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • कई जगह पर गणेश चतुर्थी को संकटा चतुर्थी भी के नाम से भी जाना जाता है जिससे लोगो के सभी संकट दूर हो जाते है।

गणेश चतुर्थी के महत्‍वपूर्ण तथ्‍य (Ganesh Chaturthi of Important Facts)

Ganesh Chaturthi

भाद्रपद माह की शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से प्रसिद्ध है। इस दिन प्रात:काल स्‍नानादि से निवृत्त होकर सोना, चॉंदी, तॉंबा, पीतल, मिट्टी एवं गोबर से गणेश की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा करनी चाहिए। पूजन के समय 21 मोदकों का भोग लगाते है। तथा हरित दुर्वा के 21 अंकुर लेकर निम्‍न दस नामों पर चढ़ाने चाहिए। जो इस प्रकार है:-

  • गतापि
  • गोरी सुमन
  • विनायक
  • अघनाशक
  • एकदन्‍त
  • ईशपुत्र
  • सर्वसिद्धिप्रद
  • कुमार गुरू
  • इंभवक्‍त्राय एवं मूषक वाहन संत।

इसके बाद 21 लड्डू में से दस लड्डू बा्रह्मणों को दान देना चाहिए तथा ग्‍यारवा लड्डू स्‍वयं को खाना चाहिए।

भारत में गणेश मंदिर की सूची (Ganesh Mandir List)

गणेश जी के सबसे बड़े मंदिर जो भारत के निम्‍नलिखत शहरो में है। जो नीचे दी गई सूची में है।

मंदिर के नाम मंदिर के नाम
गणपित पुले गणेश टोक
सिद्धी विनायक मोती डूगरी
रणथम्‍भौर गणेश मधुर महा गणपति
कर्पगा विनायक ससिवे कालू कदले गणेशा
मनाकुला विनयागर दगडूशेठ
रॉक फोर्ट उच्‍ची पिल्‍यार
तिर्रूचिल्‍लापली
मंडई गणपति
खड़े गणेश जी स्‍वयंभू गणपति
खजराना गणेश जी

गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री (Ganesh Chaturthi Pujan Samgri)

  • लाला कपड़ा
  • जल का कलश
  • जंचामृत व रोली-मौली
  • अक्षत व कलावा
  • जनेऊ
  • गंगाजल व सुपारी
  • इलाइची एवं बतासा
  • नारियल
  • चांदी का वर्क
  • लौंग, पान, पंचमेवा, घी, कपूर, धूप
  • पुष्‍प
  • फल
  • दीपक आदि

गणेश चतुर्थी व्रत कथा (Ganesh Chaturthi Vrat Katha In Hindi )

एक बार भगवान शंकर जी स्‍नान करने के लिए भोगवती नामक स्‍थान पर गए। और उनके चले जाने के बाद माता पार्वती जी ने अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया। और उस पुतले में प्राण डाल दिए जिसका नाम गणेश रखा। उसके बाद माता ने गणेश जी को द्वार पर एक मुदगल देकर बैठाया ओर कहा की जब मैं स्‍नान करूँ तो किसी भी पुरूष को अन्‍दर मत आने देना। यह कहकर माता पार्वती अन्‍दर स्‍नान करने के लिए चली गई।

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थोड़ी देर बाद भोगवती से स्‍नान करके भगवान शंकर जी आए ताे गणेश जी ने उन्‍हे अन्‍दर जाने से रोक दिया। इस पर क्रुद्ध होकर भगवान शिव ने उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। और अन्‍दर चले गए। माता पार्वती ने समझा की भोजन में विलम्‍ब होने के कारण भगवान शंकर नाराज व इतने क्राेध मे है। पार्वती ने तुरन्‍त दो थालियो में भोजन परोसकर शंकर जी को बुलाया। भगवान ने दो थालिया देखकर पूछा की यह दूसरी थाली किसके लिए है।

इस पर पार्वती बोली की दूसरा थाल मेरे पुत्र गणेश के लिए है। जो बाहर पहरा दे रहा है। यह सुनकर शंकर जी ने माता से कहा की गणेश मुझे अन्‍दर आने से रोक रहा था तो इसी कारण मैने उसका सिर धड से अलग कर दिया। यह सुनकर माता पार्वत बहुत दु:खी हुई और क्रोधित भी। और अपने पुत्र काे पुन: जीवित करने की प्रार्थना करने लगी। भगवान शंकर जी ने अपने त्रिशुल को भेजा और कहा की जंगल में अभी-अभी जन्‍में जानवर के बच्‍चे का सिर लाकर मुझे दो।

Ganesh Chaturthi

शंकर जी का त्रिशुल ने तुरन्‍त पैदा हुए हाथी के बच्‍चे का सिर काटकर भगवान भोलेनाथ को दिया। तब भगवान ने उसे सिर को पार्वती पुत्र गणेश के जोड1कर पुन: जीवनदान दिया। और कहा हे पार्वती आज से इस पूरे संसार में कोई भी शुभ कार्य करेगा तो सबसे पहले गणेश की पूजा होगी। अपने पुत्र गणेश को जीवित पाकर माता पार्वती बहुत ही प्रसन्‍न हुई और खुशी से पति व पुत्र दोनो को भोजन कराकर स्‍वयं ने भोजन किया। यह घटना भाद्रपद शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी को होने के कारण इस चतुर्थी का नाम गणेश चतुर्थी पड़ा।

भगवान गणेश जी को संकट हरता क्‍यूॅं कहा जाता है।

एक बार ब्रह्माड़ पर पर बहुत बड़ा संकट आ गया। तब सभी देवतागण मिलकर भगवान शंकर जी के पास गऐ और इस समस्‍या का हल पूछा। उसी समय भगवान शंकर के दोनो पुत्र कार्तिकेया और गणेश भी यह बात सुन रहे थे। देवतागण की बात सुनकर माता पार्वती जी ने कहा ”हे भोलेनाथ, यह कार्य अपने दोनो पुत्रो में से किसी एक को दे दो। पार्वती की बात सुनकर भगवान शंकर जी ने गणेश जी और कार्तिकेय को अपने पास बुलाया और कहा जो सबसे पहले इस पूरे ब्रह्माड़ के चक्‍कर लगाकर आएगा। मैं उसे श्रृष्टि के दु:ख हरने का भार सौपूगॉं।

यह सुनकर भगवान शंरक का बड़ा पुत्र कार्तिकेय ब्रह्माड़ के चक्‍कर लगाने के लिए अपने मौर विमान पर बैठ़ कर चले गए। किन्‍तु भगवान गणेश जी वही खड़े रहे और उन्‍होने सोचा की मैं अपने माता व पिता की परिक्रमा करता हूॅं। ये दोनो भी तो एक ब्रह्माड़ का ही रूप है। इसके बाद गणेश जी ने अपने भगवान शंकर जी को और माता पार्वती को एक साथ बैठाकर दोने के परिक्रमा की और स्‍वयं भी बैठ गए। जब कार्तिकेय पूरे ब्रह्माड़ के चक्‍कर लगाकर आए तो देखा की उसका छोटा भाई गणेश जी वही बैठे हुए थे।

यह देखकर उसने गणेश जी से बैठे रहने का कारण पूछ़ा। कार्तिकेय की बात सुनकर गणेश जी बोले की भैया माता-पिता के चरणों में ही सम्‍पूर्ण ब्रह्माड़ समाया है। तो मैने दोनो की परिक्रमा कर के यह कार्य पूरा किया। गणेश जी की बात सुनकर भगवान शंकर और माता पार्वती व अन्‍य सभी देवतागण प्रसन्‍न हुए। और भगवान गणेश जी को इस संसार में दुखी व्‍यक्ति का संकट हरने का कार्य सौप दिया। इसी कारण स्‍त्री व पुरूष अपने सभी कष्‍टों को दूर करने के लिए गणेश चतुर्थी का व्रत () रखते है। और महिलाए तो प्रत्‍येक महीने में यह व्रत रखती है।

गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा वि‍धि (Ganes Chaturthi Vrat ki Puja Vidhi)

  • इस व्रत वाले दिन पचांग के मुहूर्त के अनुसार भगवान गणेश जी की स्‍थापना की जाती है।
  • जिसके बाद एक कोण बनाकर रंगोली डाली जाती है जिसे हिंदी में चौक पुरना कहते है।
  • इस चौक पुरना के ऊपर एक चौकी रखकर उसके ऊपर लाल या पीला कपड़ा बिछा दे।
  • अब इस कपडे़ के ऊपर केले के पत्ते रखकर उस पर गणेश जी की मूर्ति की स्‍थापना करे तथा वहीं पर सवा रूपये व पूजा की सुपारी रख देना है।
  • चौकी के साइड़ एक कलश रखकर उसके ऊपर नारियल रखे और उसके मुख कर लाल धागा बांध दे। और यह कलश तब तक रखा जाता है तब तक गणेश जी का विसर्जन नही हो जाता।
  • विसर्जन वाले दिन कलश के ऊपर रखा नारियल को फोड़कर प्रशाद बनाया जाता है।
  • पूजा के दौरान सबसे पहले भगवान गणेश जी को जल, कुमकुम, चावल, चन्‍दन, पुष्‍प, प्रसाद आदि चढ़ाऐ जाते है।
  • इसके बाद भगवान को नऐ वस्‍त्र धारण करवाते है। इसके बाद मोदक के लड्डू का भोग लगाए। इसके बाद अपने परिवार के साथ भगवान गणेश जी की आरती करे और सभी को प्रशाद बाट़े।

गणेश चतुर्थी के बारे में

दोस्‍तो भाद्रपद शुक्‍लपक्ष की चतुर्थी को गणपति जी का त्‍यौहार मानाया जाता है। खासतौर पर यह पर्व महाराष्‍ट्र राज्‍य में मनाया जाता है। इस दिन महाराष्‍ट्र में सभी लोग अपने-अपने घरो में गणेश जी की स्‍थापना करते है और बड़ी ही धूम धाम से गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। यह उत्‍सव दस दिन तक मनाया जाता है अत: लास्‍ट वाले दिन किसी नदी या तालाब में गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।

पुराणों व शास्‍त्रो के अनुसार भगवान गणेश जी की सभी देवतागण में से सबसे पहले पूजा व भोग लगाया जाता है। ये सभी देवताओ में से बुद्धिमान देवता माना गया है। इनका वाहन मूषक (चूहा) है। गणेश जी को खाने में मोदक के लड्डू पसंद है। इनके दो पतनियॉं है जिनका नाम रिदी व सिद्धी है। कहा जाता है की भगवान गणेश जी ने महर्षि वेदव्‍यास जी सुनकर भगवत गीता लिखी है।

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विघ्‍नहर्ता दु:ख हर्ता है गणपति महाराज देवो में देव करते सब पर राज, हो मगंल जीवन में सदैव आपके सभी हो पूरी भक्‍तों की कामनाए।

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Ganesh Chaturthi Par FAQs

Q. गणेश चतुर्थी कब मनाई जाती है।

Ans:- गणेश चतुर्थी भाद्रपद शुक्‍लपक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है।

Q:- 2021 में गणेश चतुर्थी कब की है।

Ans:- 10 सितम्‍बर 2021 शुक्रवार

Q:- गणेश चतुर्थी 2021 पूजा का शुभ मुहूर्त

Ans:- 11:11 से लेकर 13:41 मिनट तक

Q:- गणेश चतुर्थी का त्‍यौहार कितने दिनो तक मनाया जाता है।

Ans:- यह त्‍यौहार पूरे भारतवर्ष में 10 दिनो तक लगातार मनाया जात है।

Q:- गणेश चतुर्थी उत्‍सव मनाने की प्रथा किसने शुरू की और कब की।

Ans:- यह त्‍यौहार बाल गंगाधर तिलक जी ने पूरे भारतवर्ष में असामाजिकता को दूर करने के लिए यह प्रथा शुरू की ताकि सभी लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी का त्‍यौहार धूम धाम से मनाए।

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