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Ram Navami 2024 in Hindi~ रामनवमी कब है और यह क्‍यों मनाई जाती है जानिए कथा एवं शुभ मुहूर्त

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Ram Navami 2024 :- साथियों सनातन धर्म में प्राचीन समय से ही व्रत व त्‍यौहारो का बड़ा खास महत्‍व होता है। इनके मनाने के पीछे कोई पौराणिक कथा जरूर जुडी हुई रहती है तो प्राचीन समय में घटित हुआ है उसी के ऊपर आज हम त्‍यौहार इत्‍यादि मनाते है। और आज के इस लेख में बात करगें रामनवमी (Ramnavami) त्‍यौहार के बारें में, जो की प्रतिवर्ष चैत्र मास की शुक्‍लपक्ष की नवमी तिथि को आता है। रामायण ग्रंथ के अनुसार इसी तिथि के दिन भगवन राम को जन्‍म हुआ था और उसी उपलक्ष्‍य में पूरे अयोध्‍या वासियों ने रामनवमी का पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया था। और तभी से यह परंपरा चली आ रही है और यदि आप रामनवमी त्‍यौहार के बारें में विस्‍तार से जानना चाहते है तो अंत तक बने रहे।

रामनवमी 2024 (Ram Navami Kya Hai)

Ram Navami 
रामनवमी का त्‍यौहार
Ram Navami

हमारे हिंदू धर्म में रामनवमी का त्‍यौहार (Ramnavami Festival 2024 ) बड़ उत्‍साह पूर्वक मनाया जाता है और य‍ह बड़ा ही खास दिन होता है। क्‍योंकि त्रेतायुग में चैत्र मास की शुक्‍लपक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र तथा कर्क लग्‍न में माता कौशल्‍या की कोख से पुरूषोत्त भगवान राम का जन्‍म हाुआ था। इसी लिए आज भी भारतीय जीवन में ह दिन अति शुभ व पुण्‍य पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस त्‍यौहार वाले दिन व्‍यक्ति‍ को सलिला सरयू नदी में स्‍नान करके लोग पुण्‍य लाभ कमाते है।

यह त्‍यौहार चैत्र नवरात्रि त्‍यौहारे के अंतिम दिन आता है जिस कारण इसे बेहद खास माना जाता है। क्‍योंकि चैत्र मास के शुक्‍लपक्ष के प्रतिपदा से ही चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2024) का त्‍यौहार शुरू होता है जो की लगातार 9 दिनों तक पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में माता पार्वती के 9 रूपों की पूजा की जाती है। और रामनवमी पर्व (Ramnavami Festival) के दिन नवरात्रि का पर्व समाप्‍त होता है।

राम नवमी का महत्‍व जानिए

रामनवमी Ram Navami त्‍यौहार वाले दिन हर व्‍यक्ति को सरयू नदी के तट पर जाकर स्‍नान करना चाहिए ऐसा करने से उनको पुण्‍य फल मिलता है। तथा नवमी वाले दिन रात्रि के समय रामचरित मानस का पाठ करना चाहिए या फिर उसे सुनना चाहिए। अगले दिन भगवान राम व माता सीता सविधि पूजा करके ब्राह्माणों को भोजन कराकर यथा शक्ति दान-दक्षिणा देकर विदा करे। इस व्रत को करके हमें मर्यादा पुरूषोत्तम राम के चरित्र के आदर्शो को अपनाना चाहिए। भगवान राम की गुरू सेवा, जाति-पाति का भेदभाव मिटाना, शरणागत की रक्षा करना, भ्रातृ प्रेम, मातृ प्रेम, भक्ति प्रेम, एक पत्‍नी व्रत, पवनसुत हनुमान तथा अंगद की स्‍वामी भक्ति, गिद्धराज की कर्तव्‍यनिष्‍ठा तथा केवट आदि के चरित्रों की महानता को अपनाना चाहिए। जिससे व्‍यक्ति‍ का जीवन बहुत ही सरल व सुदंर बन जाता है।

इस पर्व की शुरूआत रामयण काल अर्थात त्रेता युग के समय हुई थी। क्‍योंकि विष्‍णु पुराण (Vishnu Puran) के अनुसार भगवान राम (Lord Ram) को विष्‍णु भगवान (Lord vishnu) का सातवां अतवार बताया गया है। जो धरती पर रावण जैसे राक्षसों का विनाश करने के लिए अवतरीत हुए थे। और धरती माता को अधर्म से मुक्‍त करके धर्म के मार्ग पर लोगो को चलाया था। इस नवमी वाले दिन भगवान राम का जन्‍म दिन होने के कारण यह पर्व मनाया जाता है जो की नवरात्रि का अंतिम दिन होता है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार माता दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का विनाश किया था। जिस कारण आज नौ दिनों तक माता दुर्गा के लिए नवरात्रि का त्‍यौहार (Navratri Festival in Hindi) मनाया जाता है।

राम नवमी कब है 2024 Ram Navami Date

हर साल राम नवमी का त्‍यौहार चैत्र मास की शुक्‍ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है इस बार की नवमी बहुत ज्‍यादा खास होने वाली है। अयोध्‍या में राम भगवान का भव्‍य मंदिर बन गया है इस बार राम नवमी का पर्व पूरे देश में धूम-धाम के साथ बनाया जाएगा। इस साल राम नवमी का पर्व 17 अप्रैल 2024 बुधवार के दिन पड़ रहा है।

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राम नवमी का शुभ मुहूर्त कब है

वैसे तो रामनवमी का पर्व प्रतिवर्ष चैत्र मास की शुक्‍लपक्ष की नवमी के दिन मनाया जाता है। जो की इस वर्ष 17 अप्रैल 2024 के दिन है

  • नवमी तिथि की शुरूआत:- दोपहर 01:23 मिनट पर (16 अप्रैल को)
  • नवमी तिथि समाप्‍त:- दोपहर 03:15 मिनट पर (17 अप्रैल को)
  • नवमी तिथि:- 17 अप्रैल 2024 बुधवार
  • विजय मुहूर्त:- दोपहर 02:34 मिनट से लेकर 03:24 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त:- शाम 06:47 मिनट से लेकर 07:09 मिनट तक

राम नवमी पूजा कब है Ram Navami Puja Time 2024

चैत्र मास की शुक्‍लपक्ष नवमी तिथि को भगवान राम की पूजा होती है इस साल पूजा का सही समय सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर के लगभग 1 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। राम भगवान की पूजा करने का पूरा समय 2 घंटे लगभग 35 मिनट का रहेगा, आप इस समय में पूजा कर सकते है।

राम नवमी पूजा विधि जानिए

  • इस दिन परिवार के सभी सदस्‍य को प्रात: जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर साफ वस्‍त्र धारण करे। जिसके बाद भगवान सूर्य को पानी चढ़ाकर पीपल व तुलसी के वृक्ष में पानी चढ़ाऐ।
  • जिसके बाद भगवान राम व माता सीता और लक्ष्‍मण सहित पूरे विधि-विधान से पूजा अर्चना करे। पूजा में आपको फल, फूल, चन्‍दन, चावल, रौली, नैवद्य, पंचामृत, धूप, दीप आदि से करें।
  • Ram Navami वाले दिन पूजा व प्रसाद में तुलसी दल जरूर अर्पित करें क्‍योंकि राम चन्‍द्र जी भगवान विष्‍णु जी के सातवें अवतार है जिन्‍हे तुलसी दल अर्पिक करना बहुत जरूरी होता है।
  • जिसके बाद घी का दीपक जलाकर सभी परिवार के सदस्‍य एक साथ बैठकर रामचरित मानस को पाठ करें , जिसके बाद राम रक्षा स्‍तोत्र या रामायण पाठ करें।
  • और भगवान राम को झूला झुलाकर आरती उतारें जिसके बाद प्रसाद चढ़ाकर सभी को वितरण करें।
  • दूसरे दिन ब्राह्मण को भोजन कराकर यथा शक्ति‍ दक्षिणा देकर विदा करे।

पूजा के समय इन मंत्रो का जाप करे-

‘रां रामाय नम:’ :- यह मंत्र भगवान राम बहुत ही प्रभावशाती व शक्तिवान है। जिसे व्‍यक्ति‍ भगवान राम की पूजा करते समय 108 बार जाप करता है तो उसकी सभी मनोकामनाऍं पूर्ण हो जाती है। तथा उसे आरोग्‍य जीवन के लिए भी इस महामंत्र का जाप करना चाहिए।

ऊॅं नमों भगवते रामचंद्राय:- आज तक भगवान राम जी का जीवन मानव जाति के लिए आदर्श स्‍थापित करता है। इसलिए आपको रामनवमी वाले दिन पूजा करते समय यह मंत्र 108 बार बोलना चाहिए। जिससे आपके सभी कष्‍ट दूर हो जाएगे, और आप सुखी पूर्वक जीवन व्‍यतीत कर सकते है।

ऊॅं दशरथाय विझहे सीता वल्‍लभाय धीमहि तन्‍नो श्रीराम: प्रचोदयत्:- इस मंत्र को भगवार राम का गायत्री मंत्र बताया है जो की रामायण में भी उल्‍लेखित है जिसके जप करने से व्‍यक्ति‍ के सभी पाप व संकट दूर हो जाते है।

Ram Navami in Hindi

राम जन्‍म कथा

भगवान श्री राम राम का जन्‍म कब हुआ

हिंदू मान्‍यताओं के अनुसार रामजी का जन्‍म त्रेता युग के समय चैत्र महीने की शुक्‍लपक्ष की नवमी के दिन हुआ था। महर्षि वाल्‍मीकि के बाल कांड व तुलसी दास द्वारा रचित रामचरित मानत में इसी तिथि पर भगवान राम का जन्‍म बताया हुआ है। किन्‍तु इनके जन्‍म को लेकर सभी विद्वावानों में मतभेद है क्‍योंकि कई विद्वावान तो राम जी का जन्‍म अभि‍जीत मुहूर्त में बतातें है। जो की आज से 5100 से ज्‍यादा साला पहले हुआ था।

दरसल रामायण व रामचरित मानस के अनुसार अयोध्‍या नामक नगरी थी। जिस पर राजा दशरथ नाम का राजा राज्‍य करता था उसके राज्‍य काल में कोई भी प्राणी दुखी नहीं रहता था। राजा दशरथ के तीन रानिया था कौशल्‍या, कैकेयी, सुमित्रा किन्‍तु तीनों रानियों में से किसी के भी संतान नहीं हुई थी। जिस कारण वह राजा बहुत दुखी रहता था और हमेशा कहता की इस सूर्यवंशी का सूर्यास्‍त मेरे साथ ही समाप्‍त नहीं हो जाए। तब उन्‍होने अपने कुल गुरू त्रर्षि वशिष्‍ठ जी से पूछकर पुत्र प्राप्‍ति के लिए एक विशाल यज्ञ का अनुष्‍ठान करवाया।

जिसमें से अग्नि देव प्रकट होकर एक खीर का कटोरा राजा दशरथ जी का दिया और कहा की अपनी तीनों रानियों को खिला देना। जिसके बाद तीनों रानियों ने उस खीर को खाया लिया। और कुछ समय बाद तीनों रानी गर्भधारण कर चुकी थी। जब चैत्र मास की शुक्‍लपक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य, मंगल शनि, वृहस्‍पति व शुक्र अपने सही स्‍थानों पर विराजमान थे। तो तब कर्क लग्‍न का उदय होते की राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्‍या ने एक बालक को जन्‍म दिया। जो नीचले वर्ण का और बहुत ही आकर्षित था।

औश्र इसी शुभ घड़ी में रानी कैकेयी ने एक बहुत ही तेजस्‍वी पुत्र को जन्‍म दिया जिसके बाद रानी सुमित्रा ने दो तेजस्‍वी पुत्राें को जन्‍म दिया। जिनका नाम लक्ष्‍मण व शत्रुघन रखा गया था। और रानी कैकेयी के पुत्र का नाम भरत रखा और रानी कौशल्‍या के पुत्र का नाम राम रखा गया। जो शांत स्‍वभाव को सबका दुख हरने वाला व शीतलता प्रदान करने वाला भगवान राम था। बाकी आज के समय में हर कोई व्‍यक्ति‍ भगवान राम के चरित्र व उसकी कथा से पूरिपूर्ण ज्ञाचित है।

भगवान राम की आरती करें

Ram Navami

श्री रामचन्‍द्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारूणं। नव कंजलोचन कंज-मुख, कर कंज पद कंजारूणं।।

कंन्‍दर्प अगणित अमित छबि नवनील नीरद सुन्‍दरं। पटपीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमि जनक सुतवरं।।

भजु दीन‍बंधु दिनेश दानव, दैत्‍यवंश निकन्‍दंनं।रघुनंद आनंदकंद कौशलचन्‍द्र दशरथ नन्‍दनं।।

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारू अंग विभूषं। आजानुभुज शर चाप धर सग्राम जित खरदूषणमं।।

इति वदति तुलसीदास शंकर शेष मुनि मन रंजनं। मम हृदय कंच निवास कुरू कामादि खलदल गंजनं।।

मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो बरू सहज सुन्‍दर सॉंवरो। करूण निधान सुजान सिलु सनेहु जानव रावरो।।

एही भॉंति गौरि असीस सुनि सिया सहित हिंयँ हरषीं अली। तुलसी भ्‍ज्ञवानिहि पूजी पुनिपुनि मुदित मन मन्दिरचली।।

दोहा:- जानि गौरी अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि। मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे।।

बोलिए श्री रामचन्‍द्र भगवान की जय हो-

यह भी जानें

डिस्‍कलेमर:- साथियों आज के इस प्‍यारें से लेख में आपको रामनवमी Ram Navami के बारें में बताया है जो मुहैया सूचना व पौराणिक मान्‍यताओं के आधार पर प्रकाशित किया है। आपको बताना आवश्‍यक है की Onlineseekhe.com किसी प्रकार की पुष्टि नहीं करता है अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ, पंडित, विद्धान आदि के पास जाएगा। जो आपको अच्‍छा लगा तो लाईक करे व मिलने वालो के पास शेयर करे। और आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमेंट बॉक्‍स में जरूर पूछे। धन्‍यवाद

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