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Chaitra Navratri in Hindi | चैत्र नवरात्रि कब है व क्‍यों मनाए जाता है नवरात्रि का त्‍यौहार जानिए

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Chaitra Navratri in Hindi | चैत्र नवरात्रि कब है व क्‍यों मनाए जाता है नवरात्रि का त्‍यौहार जानिए | Navratri Date April | चैत्र नवरात्रि का त्‍यौहार | Chaitra navratri Date | चैत्र नवरात्रि घटस्‍थापना शुभ मुहूर्त | Chaitra navratri | नवरात्रि कब है | Chaitra navratri Puja Vidhi | नवरात्रि | Navratri Image | नवरात्रि दुर्गा पूजा | Navratri Durga Puja | नवरात्रि दुर्गा पाठ

हमारे सनातन धर्म में सभी व्रतो व पर्वो को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है और इनको मनाने के पीछे कोई पौराणिक कहानी जरूरी जुड़ी होती है। ऐसें महापर्व के बारें में आपको बता रहे है जी हम बात कर रहे है चैत्र के महिने में आने वाले नवरात्रि त्‍यौहार के बारें में जो लगातार 9 दिनों तक मनाया जाता है। जैसा की आप सभी जानते है हिन्‍दु पंचाग के अनुसार एक वर्ष में 4 बार नवरात्रि मनाऐ जाते है। जिनमे से चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि मुख्‍य रूप से लगभग पूरे भारत में बड़े ही हर्ष व उल्‍लाहस के सा‍थ मनाऐ जाता है। किन्‍तु आज के इस प्‍यारे से लेख में चैत्र नवरात्रि के बारें में बात कर रहे है।

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चैत्र नवरात्रि पूरे भारत में बडे ही उत्‍साह के साथ मनाया जाता है। जो लगातार नौ दिनो तक चलते है इस नौ दिनो में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हमारे हिन्‍दु धर्म के अनुसार औरते लगातार नौ दिनो तक नवरात्रि स्‍थापित करके उनकी पूजा-अर्चना करती है। और 9 दिनो तक ही व्रत रखती है जिसमें एक समय भोजन करती है। और यदि आप भी नवरात्रि का व्रत करते है तो नीचे दिए गऐ घट स्‍थापना शुभ मुहूर्त व पूजा विधि आदि पढ़कर अपना व्रत पूर्ण कर सकते है तो लेख के साथ अंत तक बने रहे।

चैत्र नवरात्रि 2023 (Chaitra Navratri in Hindi)

Navratri in Hindi 
चैत्र नवरात्रि का त्‍यौहार
Navratri in Hindi

चैत्र नवरात्रि का त्‍यौहार Navratri in Hindi प्रतिवर्ष चैत्र महीने की शुक्‍ल पक्ष की प्रतिपदा (पडिवा) से लेकर शुक्‍लपक्ष की नवमी तक मनाया जाता है जिसे आप सभी रामनवमी (Ramnavmi 2023) के नाम से जानते है। इन नौं दिनों में देवी भगवती दूर्गा के नौ स्‍वरूपों की पूजा की जाती है साथ ही नौ कन्‍याओं की भी पूजा करनी चाहिए। नवरात्रि के प्रथम दिन व्रत रखने वाले स्‍त्री व पुरूष घट-स्‍थापना करके उस स्‍थान पर जौ बोने की क्रिया की जाती है। जो की इस बार

घट स्‍थापना के लिए शुभ मुहूर्त (Navrati Shubh Muhurt 2023)

नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार आता है एक चैत्र नवरात्रि जो चैत्र महीने में मनाया जाता है और दूसरा शारदीय नवरात्रि का त्‍यौहा जो प्रतिवर्ष आश्‍विन मास की शुक्‍लपक्ष की प्रतिपदा (पहला दिन) से लेकर नवमी (नौवा दिन) मनाऐं जाते है।

घट स्‍थापना:- 02 अप्रैल 2022 शनिवार को

  • प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ:- 21 मार्च 2023 रात्रि 10:52 मिनट पर
  • प्रतिपदा तिथि समाप्‍त:- 22 मार्च 2023 को रात्रि 08:20 मिनट पर
  • घटस्‍थापना का मुहूर्त:- प्रात:काल 06:23 मिनट से लेकर 07:32 मिनट तक
  • घटस्‍थापना की कुल अवधि:- 01 घंटा लगभग 10 मिनट

घट/कलश स्‍थापना सामग्री (Ghat/Kalash Sthapana Samagree)

Navratri in Hindi

  • गंगाजल
  • रौली-मौली व पान सुपारी
  • धूपबत्ती और घी का दीपक
  • फल
  • फूल व फूलो की माला
  • विल्‍वपत्र व केले के पत्ते और आत के पत्ते
  • चन्‍दन व चावल
  • घट (कलश), लौटा, डाब
  • नारियल, हल्‍दी की गाँठ, पंचरत्‍न
  • लाला वस्‍त्र
  • पूर्ण पात्र (चावल से भरा पात्र)
  • गंगा की मृत्तिका
  • जौ(जव) बताशा,सुग‍न्धित तेल
  • सिन्‍दूर, कपूर, पंच सुगन्‍ध
  • नैवेद्य के वास्‍ते फल इत्‍यादि (पंचामृत)
  • दूध, दही, मधु, चीनी (पंचगव्‍य)
  • गाय का गोबर, मूत्र, दूध, दही, घृतं
  • दुर्गा जी तस्‍वीर या मूर्ति
  • मृत्तिका की प्रतिमा, कुमारी पूजन के लिए वस्‍त्र
  • आभूषण तथा नैवेद्यादि
  • अष्‍टमी में ज्‍योति पूजन के वास्‍ते उपरोक्‍त सामग्री

घट या कलश स्‍थापना विधि (Navrati Puja Vidhi)

Navratri 2022
  • नवरात्रि का व्रत Navratri in Hindi रखने वाले स्‍त्री व पुरूष को प्रात: काल जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर साफ वस्‍त्र धारण करे। जिसके बाद भगवान सूर्य (सत्‍यनारायण) को पानी चढाकर पीपल व तुलसी के पेड़ मे पानी चढाऐ।
  • इसके बाद अपने घर के मंदिर की साफ-सफाई इत्‍यादि करके एक लाल रंग का कपछा विछा देना है। जिसके बाद उस कपडे के ऊपर एक चावल का ढेर बनाए।
  • मंदिर के चारो ओर केले के पत्ते बांध देना है। एक तरफ मिट्टी डालकर उस पर जौ बौ देना है जिसके ऊपर पानी से भरा मिट्टी का कलश रख देना है। कलश के अन्‍दर एक सुपारी, एक रूपया, अक्षत डाल देना है। और कलश पर अशोक या फिर आम के पत्ते रख देना है।
  • अब कलश के स्‍वास्तिक बनाकर उसकी पूजा करे और कलावा बांधकर लाल या सफेद रंग के कपडे में नारियल को लपेटरक कलश के ऊपर रख देना है।
  • अब मंदिर के बीचो-बीच माता दुर्गा की मूर्ति की स्‍थापना करे और पूरे विधि-विधान व श्रद्धा भाव से पूजा करे। जिसके बाद घी का दीपक जलाकर माता को रौली-मौली, चावल, चन्‍दर, धूप, फूल, फल इत्‍यादि चढाऐ। और माता के लिए पूरे 16 श्रृंगार सहित एक जोड़ा रखे।
  • माता दुर्गा के मंदिर में पूरे 09 दिनो तक लगाता घी का दीपक जलाऐ रखना है एक पल भर के लिए भी वह दीपक भुजना नही चाहिए।
  • इसी तरह प्रति रोज सुबह माता की पूजा लगाता 09 दिनो तक करे। तथा अंतिम दिन माता को चढ़ाऐ हुआ 16 श्रृंगार और जोड़ा तो अपनी ननद या फिर किसी ब्राह्मणी को देना है।
  • और घर में कई तरह के पकवान बनाकर कम से कम 11 कन्‍याऐ जिमाऐ और उनके पैरा छूकर तिलक करके विदा करे। विदा के दौरान सभी कन्‍याओ को यथा शक्ति कुछ वस्‍तु या रूपया देना चाहिए। जिसके बाद स्‍वमं भोजन ग्रहण करे और संध्‍या के समय पूजा की सामग्री का विसर्जन करे।
  • विसर्जन के दौरा माता दुर्गा से आशीर्वाद स्‍वरूप कुछ भी वर मांगे। यदि आपके पूरे लग्‍न व श्रद्धा भाव से नवरात्रि रखे है तो माता रानी आपकी मनोकामना पूर्ण अवश्‍य करेगी।

चैत्र नवरात्रि की तिथिया (Navrati Kab Hai 2023)

  • पहला दिन:- नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री का दिन होता है जो की इस बार 22 मार्च 2023 बुधवार दिन है इस दिन पूजा के दौरान पीले रंग के वस्‍त्र पहले जाते है।
  • दूसरा दिन:- यहा नवरात्रि त्‍यौहार का दूसरा दिन इस दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है जो की इस बार 23 मार्च 2023 गुरूवार के दिन है इस दिन स्‍त्री या पुरूष को हरें रंग के कपड़े पहनकर माता की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
  • तीसरा दिन:- नवरात्रे के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की जाती है। जो की इस वर्ष 24 मार्च 2023 शुक्रवार के दिन है। इस दिन व्रत रखने वाले को स्‍लेटी रंग के वस्‍त्र धारण करके दोनो माताओ की पूजा-अर्चना की जाती है।
  • चौथा दिन:- नवरात्रि के इस दिन कुष्‍माण्‍डा माता की पूजा की जाती है जो की इस बार 25 मार्च 2023 शनिवार के दिन है इस दिन नारंगी रंग के वस्‍त्र पहनकर पूजा की जाती है।
  • पांचवा दिन:- इस व्रत रखने वाली सभी पुरूष व औरतो को सफेद कलर के वस्‍त्र धारण करके माता स्‍कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है जो की इस बार 26 मार्च 2023 रविवार के दिन पड़ेगा।
  • छठवां दिन:- नवरात्रि के छठे दिन माता कात्‍यायनी की पूजा की जाती है जो इस बार 27 मार्च 2023 सोमवार के दिन पड़ेगा। इस दिन माता के दरबार में लाल रंग के वस्‍त्र पहनकर पूजा की जाती है।
  • सातवां दिन:- यह नवरात्रे का सातवां दिन जिसमें माता कालरात्रि का पूजा-पाठ किया जाता है जो इस वर्ष 28 मार्च 2023 मंगलवार के दिन पड़ रहा है। इस दिन सभी को गहरे नीले रंग के वस्‍त्र पहनकर माता महागौरी की पूजा करनी चाहिए।
  • आठवां दिन:- यह नवरात्रि का आठवां दिन है जिसमें महागौरी की पूजा की जाती है जो इस बार 29 मार्च 2023 बुधवार के दिन पड़ रहा है। इस दिन घट स्‍थापना रखने वाले सभी पुरूषो व औरतो को गुलाबी रंग के वस्‍त्र धारण करके माता महागौरी की पूजा कि जाती है।
  • नवा दिन:- यह नवरात्रि पर्व का अंतिम व नवा दिन होता है इस दिन माता सिद्धीदात्री की पूजा अर्चना कि जाती है जो इस बार 30 मार्च 2023 गुरूवार के दिन पड़ रहा है इस दिन सभी भक्‍तजन बैगनी रंग के कपड़े पहनते है

नोट:-नवरात्रि के त्‍यौहार पर माता दुर्गा के 09 रूपो की पूजा-अर्चना की जाती है जिसके बाद अंतिम दिन के बाद माता की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। विसर्जन के दौरान सभी भक्‍तजनों को बैगनी रंग के वस्‍त्र पहनना चाहिए क्‍योंकि इसे शुम माना गया है।

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  1. प्रथम दिन मां शैलपत्री पूजा:- 22 मार्च 2023 बुधवार
  2. द्वितीय मां ब्रह्मचारिणी पूजा:- 23 मार्च 2023 गुरूवार
  3. तृतीया मां चंद्रघंटा पूजा:- 24 मार्च 2023 शुक्रवार
  4. चतुर्थ मां कुष्‍मांडा पूजा:- 25 मार्च 2023 शनिवार
  5. पंचम मां स्‍कंदमाता पूजा:- 26 मार्च 2023 रविवार
  6. षष्‍ठ मां कात्‍यायनी पूजा:- 27 मार्च 2023 सोमवार
  7. सप्‍तम माता कालरात्रि पूजा:- 28 मार्च 2023 मंगलवार
  8. अष्‍टम माता महागौरी पूजा:- 29 मार्च 2023 बुधवार
  9. नवम माता सिद्धिदात्री पूजा:- 30 मार्च 2023 गुरूवार
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कलश का महत्‍व (Kalash Ka Mahatva)

दोस्‍तो आपकी जानकारी के लिए बता दे की नवरात्रों में माता के मंदिर में कलश की स्‍थापना इस लिए करते है की कलश विष्‍णु भगवान (Lord Vishnu) का प्रतीक माना गया है। यह बात हमारे हिन्‍दु धर्म के शास्‍त्रो, वेदो, पुराणों में बताई गयी है। इसी लिए सबसे पहले मिट्टी के कलश की स्‍‍थापना करते है।

माता दुर्गा के मंत्र (Navrati Ka Mahatva in Hindi)

Navratri Festival 2022
Navratri in Hindi

शास्‍त्रो में कहा गया है की नवरात्रि में माता आदिशक्ति (दुर्गा) की पूजा के दौरा निम्‍न लिखित मंत्रो का जाप करे। जिससे आपकी सभी कार्य सफल हो जाऐ।

  • सर्व मंगल मांगल्ए शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ए त्रयंबके गौरी नारायणी नमोस्‍तुते।।
  • ऊँ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्‍वाहा स्‍वधा नमोस्‍तुते।।
  • या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम: ।।
  • ऊँ ऐं हीं क्‍लीं चामुण्‍डायै विच्‍चै ।।

नोट:- माँ दुर्गा का महिषासुर मदिंनी स्‍त्रोत पढ़ने से भी दुर्गा (आदिशक्ति) बहुत प्रसन्‍न होती है। Navratri in Hindi

चैत्र नवरात्रि व्रत कथा (Navratri in Hindi/Navratri Vrat katha)

प्राचीन समय में सुरथ नाम के राजा थे। जो की अपनी प्रजा की रक्षा में हमेशा उदासीन रहते थे, परिणामस्‍वरूप एक दिन पड़ाेसी राजा ने राजा सुरथ के राज्‍य पर चढ़ाई कर दी। क्‍योंकि राजा सुरथ की आदि सेना उसके शत्रु से मिली हुई थी। जिस कारण राजा सुरथ ही युद्ध में हार हो गई और वह अपनी जान बचाकर जंगल की ओर भाग गया। जिस वन में राजा सुरथ भागा था उसकी वन में एक समाधि नामक वणिक अपनी पत्‍नी व संतान के दुर्व्‍यव्‍हार से परेशान होकर जंगल में निवास करता था। जिस कारण दोनो की आपस में भेंट हो गई।

दोनो ने एक-दूसरे को आपबीती सुनाई और दोनो साथ-साथ रहने लगे। एक दिन दोनो (राजा सुरथ, समाधि) घूमते हुए महर्षि मेघा के आश्रम में जा पहुचें। दोनो ने महर्षि को प्रणाम किया और ऋषि ने उन दोनो का आने का कारण पूछा। तो दोनो ने कहा की हम दोनो अपने ही संगे-सम्‍बन्धियों के द्वारा अपमानित एंव तिरस्‍कृत हुए है। जिस कारण हमारे हदय में उनके प्रति कोई भी मोह नहीं है।

तब ऋषि मेघा ने उन दोनो को समझाया की मन शक्ति के आधीन होता है और आदि शक्ति के दो रूप है जो विद्या और अविद्या है। विद्या तो ज्ञान का स्‍वरूप है किन्‍तु अविद्या अज्ञान और विनाश का रूप है और इस मानव संसार में जो कोई व्‍यक्ति अविद्या (अज्ञान) के आदिकरण होकर उपासना करते है उन्‍हें वे विद्या स्‍वरूपा प्राप्‍त होकर मोक्ष प्रदान करती है। ऋषि की बात सुनकर राजा सुरथ ने प्रश्‍न किया हे महर्षि देवी कौन है? और उसका जन्‍म कैसे हुआ-

तब महर्षि मेघा बोले- आप जिस देवी के विषय में पूछ रहे है वह नित्‍य स्‍वरूपा और विश्‍व व्‍यापिनी है। उसके बारें में ध्‍यानपूर्वक सुना। कल्‍पांत के समय में विष्‍णु भगवान क्षीर सागर में अनन्‍त शैय्या पर शयन कर रहे थे, तब उनके दोनो कानों में से मधु और कैटभ नामक दो राक्षस उत्‍पन्‍न हुऐ। वे दोनों भगवान विष्‍णु जी की नाभि से उत्‍पन्‍न ब्रह्माजी को मारने दौड़े तो उन्‍हे देखकर ब्रह्माजी ने भगवान विष्‍णु जी की शरण में जाने की सोची।

किन्‍तु उस समय भगवान अपनी नीद्रा में थे तब उन्‍हे जगाने के लिए ब्रह्माजी ने उनके नयनों में निवास करने वाली योगनिद्रा की स्‍तुति की। जिसके परिणामस्‍वरूप तमोगुण अधिष्‍ठात्री देवी विष्‍णु भगवान के नेत्र, नासिका, मुख तथा हदय से निकलकर ब्रह्मा जी के सामने उपस्थित हो गई। देवी योगनिद्रा के निकलते ही भगवान विष्‍णुजी अपनी निद्रा से जाग गए, तब ब्रह्माजी ने सारी बात बताई।

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कहा जाता है की राक्षस मधु व राक्षस कैटभ और भगवान विष्‍णु जी के बीच में पॉंच हजार वर्षो तक भंयकर युद्ध चलता रहा। और अन्‍त में दोनो राक्षस मारे गऐ। जिसके बाद ऋर्षि बोले- अब ब्रह्माजी की स्‍तुति से उत्‍पन्‍न महामाया देवी की वीरता तथ प्रभाव का वर्णन करता हूॅ। उसे भी तुम दोनो ध्‍यानपूर्वक सुनों- एक समय देवताओं के स्‍वामी भगवान इन्‍द्र तथ दैत्‍यों के स्‍वामी महिषासुर में सैकड़ो वर्षो तक घनघोर महासंग्राम हुआ। आखिरकार इस युद्ध में देवराज इन्‍द्र की हार हुई जिसके बाद महिषासुर ने स्‍वर्गालोक पर अपना आधिपत्‍य जमा लिया। Navratri in Hindi

जिससे परेशान होकर सभी देवतागण ब्रह्माजी के नेतृत्‍व में और भगवान विष्‍णु जी और भगवान शंकर जी शरण में गए, और आपबीती सुनाई। देवताओं की बात सुनकर भगवान विष्‍णु और भगवान शंकर जी तथा ब्रह्माजी तीनों क्रोधित हो गए। भगवान विष्‍णु के मुख से तथा ब्रह्माजी के, शिवजी के और सभी देवताओं के शरीर से एक तेज पुंज निकला। इस तेज पुंज से समस्‍त दिशाऍं जलने लगीं और अन्‍त में यही तेज पुंज एक देवी के रूप में परिवर्तित हो गया।

उस देवी ने सभी देवताओं से आयुद्ध एंव शक्ति प्राप्‍त करके उच्‍च स्‍वर में अट्टहास किया जिससे तीनों लोको में हलचल मच गई। और राक्षस राज महिषासुर को मारने के लिए चल दी यह देख राक्षस महिषासुर अपनी सेना लेकर इस सिंहनाद देवी की और दौड़ा। राक्षस ने देखा की इस देवी के प्रभाव से तीनों लोक आलोकित हो रहे है। इस प्रकार राक्षस राज महिषासुर की कोई भी चाल उस देवी के सामने सफल नहीं हुई

और वह देवी के हाथों से मारा गया आगे चलकर यही देवी शुम्‍भ और निशुम्‍भ दोनो राक्षसों का वध करके गौरी देवी (माता पार्वती) के रूप में अवतरित हुई। इन उपरोक्‍त व्‍याख्‍यानों को सुनकर मेघा ऋषि से राजना सुरथ तथ वणिक से देवी स्‍तवन की विधिवत व्‍याक्ष्‍या की। जिसके बाद राजा और वणिक एक नदी के तट पर जाकर तपस्‍या करने लगे। तीन वर्ष तक घोर तपस्‍या करने के बाद देवी ने प्रकट होकर उन्‍हे आशीर्वाद दिया। जिससे वणिक संसार के मोह से मुक्‍त होकर आत्‍मचिंतन में लग गया। और राजा ने अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्‍त करके अपने राज्‍य , वैभव वापस प्राप्‍त कर लिया था।

दोस्‍तो आज के इस लेख में हमने आपको नवरात्रि Navratri in Hindi के बारे में सभी महत्‍वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। यदि ऊपर लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमंट करके जरूर पूछे। धन्‍यवाद दोस्‍तो….

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