Onam Festival in Hind:- भारत देश की पावन भूमि ही त्यौहारों की भूमि है जहा हर दिन कोई त्यौहार/पर्व बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस पावन देश में अधिकतर त्यौहार ऐसे है जो पूरा देश बड़ी धूम धाम के साथ मनाऐ जाते है। पर भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में भी विभिन्न प्रकार के पर्व व त्यौहार मनाए जाते है जैसे- गणगौर राजस्थान राज्य का प्रमुख त्यौहार है Onam Festival in Hindi
काति बिहू उड़ीसा राज्य का प्रमुख पर्व है उसी प्रकार ओणम त्यौहारा दक्षिण भारत में मनाया जाने वाले सभी त्यौहारों में से एक बहुत बड़ा पर्व है। पर खासतौर पर यह पर्व भारत में केरल राज्य का पर्व माना जाता है जो लगातार 10 दिनों को मनाया जता है। तो आइए जानते है ओणम र्प के बारें……

ओणम त्यौहार का महत्व/Onam Festival ka Mahatava
ओणम दक्षिण भारत का मुख्य पर्व है जो करेल राज्य के लिए प्रसिद्ध है मलयालम व कैलेंडर के अनुसार ओणम पर्व हर साल चिंगम महिने में मनाया जाता है। चिंगम का महिना मलयालम के पंचाग के अनुसार साल का पहला महिना होता है। जिस प्रकार हिन्दी पंचाग का प्रथम महिना चैत्र और अंग्रेजी कैलड़र के अनुसार जनवरी का पहला महिना होता है।
Onam Festival लगातार 10 दिनों के लिए मनाया जाता है जिसका हर एक दिन बहुत खास होता है। सभी 10 दिनों में महिलाए/पुरूष अपने-अपने घरों की साफ-सफाई, सजावट का पूरा ध्यान रखते है इस त्यौहार पर भगवान विष्णु जी और महाबली जी की पूजा-अर्चना करी जाती है।
ओणम त्यौहार के 10 दिन
त्यौहार का दिन | त्यौहार का महत्व |
पहला दिन- अंथ | पहला दिन राजा बली पाताल से केरल जाने की तैयारी करते है |
दूसरा दिन- चिथिरा | फूलो का कालीन बनाना शुरू करते है जिसे पुक्कलम कहते है |
तीसरा दिन- चोथी | पूक्क्लम में 4/5 प्रकार के फूल लगाते है |
चौथा दिन- विशाकम | इस दिन विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताए शुरू होती है |
पांचवा दिन- अनिज्हम | नौका रेस की तैयारी होती है |
छठां दिन- थ्रिकेता | छुटिया शुरू होती है |
सातवां दिन- मूलम | मंदिरो में पूजा शुरू होती है |
आठवां दिन- पूरादम | महाबली और वामन की प्रतिमा की स्थापना होती है |
नौवां दिन- उठ्रादोम | इस दिन पर महाबली केरल में प्रवेश करते है |
दसवा दिन- थ्रिरूवोनम | मुख्य त्योहार |
ओणम त्यौहार कब है/Onam Kab hai
Onam Festival in Hindi:– मलयालम सोलर कैलेंडर के अुनसार तो ओणम पर्व हर साल चिंगम महिने में आता है अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह त्यौहार हर साल अगस्त या सितम्बर महिने में पड़ता है। इस साल यह त्यौहार 20 अगस्त 2023 रविवार से शुरू होकर 31 अगस्त 2023 गुरूवार को समाप्त हो रहा है।

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ओणम त्यौहार कैसे मनाया जाता है/Onam ka Tyohar Kaise Manaya Jata Hai
- इस पर्व पर लोग पहले से अपने घरों की साफ-सफाई करके कई प्रकार की सजावट करते है। त्यौहार वाले दिन सभी परिवार वाले मंदिर में जाकर भगवान विष्णु जी की पूजा करते है। इस दिन विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसे देखने के लिए देश विदेश के लोग यहा आते है। आस-पास के लोग इस पर्व वाले दिन हाेने वाले मनोरंजन में बढ़ चढ़कर भाग लेते है।
- इस पर्व पर सामान्य नागरिक कई प्रकार के प्रतियोगिताओं का आयोजन करते है खास तौर पर इस दिन पूक्कालम (फूलो का कालीन) लोग बड़ी उत्सुकता से बनाते है। इन कालीन में विभिन्न प्रकार के पुष्य होते है।
- इस पर्व वाले दिन कई प्रकार की प्रतियोगिताए जैसे- नाव रेस, भैंस, बैल की दौंड आदि आयोजित करी जाती है।
- भगवान के प्रसाद चढ़ाने हेतु विभिन्न प्रकार के पकवान, मिठाई तैयार करते है लोग मेलों में से कई प्रकार की किमती वस्तु जैसे , कपड़े, मिट्ट के बर्तन, खिलौने आदि।
- ओणम फेस्टिवल 10 दिन समाप्त होता है पर कई लोग इसे अगले दो दिनों के लिए ओर मनाते है। जिसे तीसरा एवं चौथा ओणम त्यौहार कहा गया है त्यौहार के अंतिम दिन भगवान वामन एवं महाबली की मूर्ति को किसी पवित्र नदीं में विसर्जिक कर देते है।
ओणम त्यौहार कि कथा/Onam Festival Katha in Hindi
पौराणिक कथा के अनुसार बली नाम का राजा राज करता, जो भक्त प्रहलाद का पोता था। भक्त प्रहलाद असुरा राज हिरणकश्यप के पुत्र था, पर वह सदैव भगवान विष्णु जी की भक्ती करता, और अपने दादा की तरह ही राजा बली भी बहुत बड़ा दानी, न्यायप्रिय, वीर, पराक्रमी राजा था। राजा बली सदैव अपनी प्रजा के लिए आगे रहता, बली ने देवराज इंद्र को युद्ध में हराकर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य कर लिया था।
राजा बली के राज्य सभी प्रजा बहुत खुश थी वहा की प्रजा उसे अपने भगवान के रूप में मानने लगी। इससे धरती पर आसुरी शक्ति ओर भी ज्यादा बढ़ रही थी, यह देख सभी देवताओं ने सोचा यदि ऐसा हुआ तो देवताओं को कोई भी नहीं पूजेगा। सभी देवगण मिलकर भगवान विष्णु जी के पास गए और यदि इस प्रकार धरती पर राजा बली रहा तो आसुरी शक्ति और भी ज्यादा बढ़ जाएगी।
उस समय राजा बली महायज्ञ कर रहा था जिसमें पूरे 101 यज्ञ होने थे, ये पूरे 101 यज्ञ होने के बाद राजा बली पूरी तरह अजय हो जाएगा। इसी बात को लेकर सभी देवता परेशान थे, फिर भगवान विष्णु जी ने कहा की राजा बली ने अब 100 यज्ञ पूरे कर लिए है पर 101 यज्ञ नहीं कर पाएगा। उसके बाद भगवान विष्णु जी ने देवमाता अदिति के यहा बेटे के रूप में जन्म लिया। जो भगवान विष्णु जी का वामन अवतार कहलाया था।
वामन अवतार भगवान विष्णुजी का पांचवा अवतार था उसके बाद राजा बलि का यज्ञ विफल करने के लिए ब्रह्मण रूप में चल दिया। जहा पर राजा यज्ञ कर रहा था वहा जाकर याचक बनकर खड़ा हो गया। जब यह बात राजा बलि को पता चली तो वह तुरंत द्वार पर आया और वामन भगवान को बहुत बड़ा आदर सत्कार किया, और अपनी यज्ञशाला में आने के लिए कहा, पर वामन देव ने कहा राजन मैं यहा बैठने नहीं आया तुम से कुछ मांगने आया हूं।

वामन भगवान को यह रूप देख असुरों का गुरू शुक्रराचार्य जी समझ जाते है की यह तो स्वंय भगवान विष्णु जी है। हे राजन तुम इसे मांगने पर कुछ भी न देना अनयथा तुम कभी भी अजेय नहीं बन पाओगे। अपनी गुरू की बात सुनकर राजा बलि ने कहा गुरूदेव मेरे द्वार से आज तक कोई भी याचक खाली हाथ नहीं गया तो मैं इस ब्राह्मण बालक को कैसे जाने दे सकता हू। यदि मैं इस ब्राह्मण बालक को कुछ नहीं दिया तो मै अपने पूर्वजों का अपमान करूगां।
राजा ने अपने गुरू की बात नहीं मानी और वामन भगवान से कहा मांगो ब्राह्मण बालक क्या मांगते हो, राजा के मांगने पर वामन भगवान ने कहा की हे राजन मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। मुझे रहने के लिए तीन पग भूमि चाहिए, यह सुनकर राजा को पहले हंसी आयी बस तीन पग भूमि, ठिक है ब्राह्मण बालक मेरा इतना विशाल राज्य में जहा तुम्हारा मन करे वहा पर तीन पग भूमि ले सकते हो।
वामन भगवान ने राजा बलि से वचन लिया और अपना विशाल स्वरूप धारण करके भूमि मापने के लिए पहल पैर उठाया। पूरी धरती समा गई, जब दूसरा पैर उठाया तो स्वर्गलोक से लेकर ब्रह्म लोक नाप लिया। अब तीसरा पैर रखने के लिए राजा के पास ही नहीं बल्कि इस संसार में कुछ नहीं बचा, तब वामन भगवान ने कहा हे राजन मैने दो पग भूमि तो माफ लिया पर तीसरा पैर कहा रखू। क्योंकि जो तुम्हारे पास था वह तो मैने एक पैर में माफ लिया और दूसरे पैर में मैने आकाश, पाताल, स्वर्गलोक, ब्रह्म लोक सबकुछ माफ लिया है।
अब इस धरती पर व ब्रह्माड में कुछ नहीं बचा जिस पर मैं तीसरा पैर रखूगा, भगवान वामन का यह स्वरूप देखकर राजा बलि नीचे बैठकर बोले नहीं प्रभु अभी भी कुछ है जो केवल मेरा है। मेरा सिर जिस पर आप अपना तीसरा पैर रख सकते है राजा बलि की इस महानता को देखकर वामन भगवान ने अपना वास्तविक रूप लिया और कहा की हे राजन मै तुम्हारी इस दानवीरता से बहुत प्रसन्न हूं।
अब तुम महाबली के नाम से प्रसद्धि हो और तुम पाताललोक में जाकर वास करों, इस प्रकार आज भी अपने राजा की याद में लोग हर साल ओणम का त्योहार मनाते है। कहा जाता है पौराणिक काल से ही यह त्यौहार मनाया जा रहा है। (Application Form) Gruha Lakshmi Yojana Karnatak~Gruha Lakshmi Yojana Kya Hai
डिस्केलमर:- आज आपको दक्षिणी भारत का मुख्य पर्व ओणम त्यौहार (Onam Festival in Hindi) के बारें में बताया है। जो केवल पौराणिक मान्यताओं के आधार पर लिखा है आपको यह बताना जरूरी है की Onlineseekhe.com किसी भी प्रकार की पुष्टि नहीं देता है। अत: अधिक जानकारी हेतु विशेषज्ञ, विद्धान से सलाह ले, और इसी प्रकार आने वाले सभी व्रत व त्यौहारों के बारें में पढ़ना चाहते है तो वेबसाइट के साथ बने रहिए।
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