Gangaur Festival in Hindi | गणगौर त्यौहार की कथा व पूजा विधि | गणगौर का त्यौहार क्यों मनाते है | Gangaur Festival in Hindi | ्गणगौर का त्यौहार क्यों मनाते है | Gangaur Festival of Rajasthan |गणगौर त्यौहार 2022 | Gangaur Festival in Rajasthan | गणगौर कब है | Gangaur Festival in Jaipur | गणगौर व्रत की विधि | Gangaur Geet in Hindi | गणगौर व्रत की कथा | Gangaur ki kahani |गणगौर व्रत कब है | Gangaur Vrat 2022 | गणगौर 2022 | Gangaur Vrat katha in Hindi | गणगौर के गीत | Gangaur Vrat Vidhi in Hindi | गणगौर माता
दोस्तो आप सभी जानते है कि भारत में तरह-तरह के त्यौहार मनाए जाते है शायद ही कोई महिना ऐसा निकलता है जिसमे किसी त्यौहार को नही मनाया जाता है ऐसे में आपको बता दे कि जल्द ही गणगौर का त्यौहार आने वाला है। और आप सभी इस खास त्यौहार का इतंजार कर रहें होगें। इस त्यौहार को हमारे यहा बड़ी ही धुम-धाम से हर वर्ष मनाया जाता है। किन्तु कई बार आपके मन में यह प्रश्न आता होगा कि आखिर गणगौर का त्यौहार (Gangaur Festival / Gangaur Ka Tayohar) क्यों मनाते है और इसके पीछे क्या वजह है। तो आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से इस अनोखे त्यौहार के बारे में विस्तार से बताएगे। इसलिए आपसे निवेदन है कि इस पोस्ट को अन्त तक जरूर पढ़े।
Gangaur Festival in Hindi (गणगौर का पर्व)
इस त्यौहार वाले दिन सौभाग्यवती स्त्रियॉं व्रत रखती है कहावत है की इस दिन पार्वती ने भगवान शंकर से सौभाग्यवती रहने का वरदान प्राप्त किया था साथ में माता पार्वती ने संसार की सभी स्त्रियों को भी सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया था। इस व्रत वाले दिन सभी महिलाए मिलकर रेणुका को गौर बनाकर उस पर महावर और सिन्दूर चढ़ाने का विशेष प्रावधान होता है। जिसके बाद चन्दन, अक्षत, धूपबत्ती, दीप, नैवेद्य आदि से पूजा करके भोग लगाया जाता है। तथा विवाहित स्त्रिया को गौर पर चढ़ाऐ सिन्दूर को अपनी मॉग में लगाती है और सदा सुहागन रहने का वरदान मॉगती है।

गणगौर त्यौहार शुभ मुहूर्त जानिए
इस त्यौहार की शुरूआत तो 18 मार्च 2022 अर्थात होली के दूसरी दिन हो जाती है तथा व्रत की शुरूआत 03 अप्रैल 2022 को दोपहर 12:35 मिनट पर हो जाएगी। और समापन 04 अप्रैल 2022 को दोपहर 01 बजकर 55 मिनट पर हो जाएगी।
गणगौर का पर्व कैसे मनाते है
- इस त्यौहार के शुरूआत वाले दिन सभी महिलाए व बालिकाए प्रात: जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करती है।
- जिसके बाद सभी मिलकर कुएं, नलकूल, नदी, तालाब आदि में अपना-अपना लौटा भरकर उसमें हरी धूब व फूल डालकर सिर पर रख लेती है।
- और रास्ते में फूल बरसाती हुई व गणगौर माता के गीत गाती हुई घर आ जाती है। और धूब में से गूले निकालकर माता गौरी की पूजा करती है। जिसके बाद उसी पानी से सूर्य भगवान को अर्ग देती है।
- इस त्यौहार के अंतिम दिन सभी सुहागन स्त्रियॉ 16 श्र्ंगार करती है और गौरी माता का भी पूरा श्रृंगार करके पूजा करती है। जिसके बाद सभी मिलकर गणगौर व्रत की कथा सुनती है।
- संध्या के समय सभी मिलकर गणगौर माता Gangaur को नदी में बहा देती है। मान्यताओं के अनुसार गणगौर माता सभी त्यौहारो को लेकर चली जाती है।
- जिसके बाद सावन में महीने में तीज सभी त्यौहारों का लाती है।
क्यो मनाया जाता है गणगौर का त्यौहार?
हमारे देश में कई त्यौहार ऐसे होते है जो कि किसी विशेष क्षेत्र में ही मनाए जाते है जैसे गणगौर का त्यौहार वैसे तो भारत के कई राज्यो में मनाया जाता है लेकिन राजस्थान राज्य में इस गणगौर के त्यौहार (Gangaur Festival) को बड़ी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस तरह Gangaur Festival का त्यौहार राजस्थान राज्य का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस त्यौहार के दिन कुवांरी एवं विवाहित महिलाए भगवान शिवजी एवं माता पार्वती के लिए गणगौर पूजा करते है।
ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती जी ने भगवान शिवजी को अपने वर रूप में पाने के लिए बहुत ही कठिन तपस्या की। तब जाकर भगवान शिवजी उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर पार्वती जी के सामने प्रकट हुऐ। और माता पार्वती जी से कहा की मैं तुम्हारी इस तपस्या से प्रसन्न हॅू। मागो क्या वरदान मागती हो।
माता पार्वती ने भगवान शिव से वरदान के रूप में खुद शिवजी को अपने पति के रूप में मागां। भगवान शिव ने उनकी इच्छा को पूरी करने के लिए माता पार्वती जी से विवाह कर लिया और दोना पति-पत्नी बन गऐ। और माता को अखण्ड़ सौभागयवती होने का आशीर्वाद दिया। तब से लेकर आज तक महिलाऐ अच्छा पति पाने के लिए गणगौर का त्यौहार मनाते है एवं इस त्यौहार पर महिलाए व्रत रखती है एंव शिवजी (ईसर जी) एवं पार्वत (गौरी) का पूजन करती है।

इस दिन मनाते है Gangaur का त्यौहार
गणगौर का पर्व प्रतिवर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया (तीज) को मनाया जाता है जो की इस वर्ष 04 अप्रैल 2022 सोमवार के दिन पड़ रहा है। वैसे तो इस खास त्यौहार की शुरूआत होली पर्व के दूसरे दिन होती है जो की लगातार 16 दिनों तक मनाया जाता है। इस त्यौहार को सोलह दिनों तक इसलिए मनाया जाता है क्योकिं 16 दिन सोलह माताओं जैसे गौरी, उमा, प़द्यमा, पार्वती, दुर्गा, काली, महाकाली आदि का प्रतीक होता है। और हर दिन देवी पार्वती के रूप में पूजा की जाती है।
Gangaur Festival पूजा की विधि
इस पर्व में प्रथम दिन होली दहन की राख से 16 पिडिया बनाकर उनकी लगातार सोलाह दिन तक पूजा की जाती है। और साथ में कुमकुम, मेहदीं, व मावड़ की 16-16 बिन्दी लगाकर व रोली से छोटा सा मन्दिर बनाकर उसकी पुजा की जाती है। इस व्रत को कुवारी लड़किया अच्छा पति पाने के उद्देश्य से रखती है जबकि शादीशुदा एवं नवविवाहित महिलाए अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए गणगौर का व्रत रखती है।
इस त्यौहार पर सभी महिलाए प्रात:काल जल्दी उठकर स्नान करती है। फिर पीतल के लौटो या घडि़यो मे किसी कुऐ, तालाब व नलकूप से पानी भरकर, उनमें हरी दुब डालकर सिर के उपर रखकर गणगौर के गीत गाती हुयी आती है। फिर सभी महिलाए इसी तरह से 16 दिनों तक Gangaur Mata का पूजन करती है जिसके बाद लास्ट वाले दिन गणगौर का किसी तालाब या नदी में विर्सजन किया जाता है।
गणगौर व्रत कथा | Gangaur Vrat Katha
एक समय की बात है एक दिन माता पार्वती और भगवान शिवजी तीनो लोक घूमनें के लिए नारदजी के साथ गऐ। वे तीनो चलते चलते चैत्र शुक्ला तृतीया को एक गॉंव में आ पहुचे। उनका आने का सामाचार पाकर उस गॉंव की सभी औरते खुश हुई। और सभी जाति की स्त्रिया उनके स्वागत के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाने लगी। किन्तु उन्हे भोजन बनाने में बहुत देर हो गई ।
महिलाओ को सुहाग का वरदान
ऐसे में गॉव की जो नीचे कुल की स्त्रिया थी वो सभी अपनी-अपनी थालियों में साधारण भोजन ड़ालकर ले आई एवं मॉ पार्वती, शिवजी एवं नारदजी को तिलक लगाकर फूलो से स्वागत किया। माता पार्वती उनकी इस पूजा एवं भक्ति भाव को देखकर सुहाग का सारा रस उन पर छिड़क दिया। इस तरह नीचे कुल की सभी महिलाओ को सदा सुहागन का वरदान मिला एवं वे वापस लौट गई।

इसके बाद उच्च कुल की स्त्रिया अपने सोने-चॉंदी की थालीयो में अच्छे-अच्छे पकवान सजाकर शिवजी और माता पार्वती जी की पूजा करने पहुची। यह सब देखकर भगवान शिवजी ने माता पार्वती से कहा की तुमने सारा सुहाग रस तो नीचे कुल की स्त्रीयो को दे दिया। तो अब इन्हे क्या दोगी।
यह सुनकर पार्वती जी ने भगवान से कहा की आप चिन्ता ना करे मैं नीचे कुल की स्त्रीयों को उपरी पदार्थो से बना रस छिड़का है। इसलिए उनका सुहाग रस हमेंशा बना रहेगा। किन्तु इन उच्च कुल की औरतो को मैं अगुंली चीरकर अपने रक्त का सुहाग रस दूगीं। यह रस जिसके भाग्य में पड़ेगा वह औरत मेरी तरह सौभाग्यवती हो जाएगी। और माता पार्वती ने सुहाग रस छिड़का, जिस पर जैसा रस पड़ा उसको वैसा ही सुहाग मिला।
माता पार्वती जी की लीला
उसके बाद वो तीनो आगे बढ़े और एक नदी के किनारे जा पहुचे। उस नदी में माता पार्वती ने स्नान किया एवं स्नान करने के बाद बालू मिट्टी से भगवान शिव की मूर्ति बनाकर उसकी पूजा की एवं भोग चढ़ाया। माता को यह सब करने में बहुत ही समय लग गया। ऐसे में जब भगवान शिवजी ने माता से देरी होने का कारण पूछा तो माता ने झूट बोलते हुए कहा कि मेरी भाभी मुझे दूध-भात खिलाने लग गई जिसकी वजह से मै देर हो गई।
यह सुनकर भगवान का मन भी दूध-भात खाने के लिए किया और वो भी नदी की तरफ चल दिऐ। इस तरह माता पार्वती जी झूठ बोलकर बडी दुविधा में फस गई। और मन ही मन में भगवान भोलेनाथ का चिन्तन किया। हे प्रभु मै तो आपकी चरणो की दासी हॅू मैने जो आप से झूठ बोला है उसकी लाज रखे।
यह कहती हुई माता भगवान के पीछे पीछे चली गई। जब शकंरजी वहा पर पहुचे उनके साला-सालायली और सास सुसर वही पर थे। उन सभी ने भगवान भोलेनाथ का स्वागत किया और वो दोना दो दिनो तक वही पर ठहरे। तीसरे दिन माता ने शिवजी से चलने को कहा तो शिवजी ने कहा कि अभी और रूक जाते है किन्तु पार्वती जी नही मानी। और वो तीनो वहा से चल दिऐ।
रास्ते में संध्या के समय भगवान शिवजी ने पार्वती जी से कहा की मैं तूम्हारे मायके में अपनी माला भूल आया। माता ने कहा मैं वापिस लेकर आती हॅू। परन्तु शिवजी ने मना कर दिया और नारदजी को वह माला लेने के लिए भेज दिया। माला लेने के लिए नारद जी उस स्थान पर पहुचे तो उन्हे कोई भी नजर नही आया। और वो सोचने लगे की मै गलत जगह आ गया।
जब आकाश में बिजली चमकी तो उन्हे एक पेड़ पर शिवजी की माला टँगी दिखाई दी। नारद जी उस माला को उतारकर वापिस शिवजी के पास पहुचें। और वहा का पूरा वृतांत सुनाया। भगवान शिवजी हॅसते हुऐ नारदजी से कहा की ये सब पार्वती की लीला थी। माता ने नारद जी से कहा की मैं किस योग्य हॅू।
नारदजी ने हाथं जोड़कर कहा माता आप तो इस संसार में सभी पतिव्रता नारियो में सर्वश्रेष्ठ है। आप तो पूरे जगत की आदि शक्ति है यह सब चमत्कार आपके पतिव्रत प्रभाव से ही हुआ है। माता इस पूरे संसार में स्त्रिया आपके नाम व पूजा से सौभाग्य प्राप्त कर लेती है। मैं आपकी यह लीला देखकर धन्य हो गया। यह सुनकर माता पार्वती जी ने कहा हे नारद इस पूरे संसार में कोई महिला मेरा Gangaur Festival या व्रत और पूजा कथा करेगी उसकी सभी मंगलकामनाऐ पूरी होगी।
प्यारे दोस्तो आज के इस लेख में आपको गणगौर त्यौहार Gangaur Festival in Hindi के बारें में बताया है। जानकारी अच्छी लगी तो लाईक कर व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न है तो कमेंट करके जरूर पूछे। धन्यवाद
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