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Eid Milad-Un-Nabi Festival in Hindi | ईद मिलाद-उन-नबी त्‍यौहार के बारे में यहा से जाने

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Eid Milad-Un-Nabi Festival in Hindi:- दोस्‍तो इस्‍ला‍ामिक कैलेंडर के अनुसार तीसरे माह में रबी उल बारावफात के चॉद को देख सकते है। क्‍योकि इस माह में 12वे दिन अन्तिम’पैगम्‍बर हजरत मुहम्‍मद साहब, का जन्‍म हुआ था। इसी उपलक्ष में प्रतिवर्ष ईद मिलाद-उन-नबी का त्‍यौहार मनाया जाता है। मिलाद उन नबी मुसलिम धर्म का एक खास त्‍यौहार है जिसे बड़े ही हर्षो उल्‍लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन विश्‍व के सभी मस्जिद दरगाहो पर बड़े धूमधाम से ताजिया निकाला जाता ह। ऐसे में यदि आप मिलाद उन नबी मुस्लिम पर्व के बारे में संक्षिप्‍त जानकारी पाना चाहते है तो पोस्‍ट के अन्‍त तक बने रहे।

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Eid Milad-Un-Nabi Festival का महत्‍व

Eid Milad-Un-Nabi in Hindi, ईद मिलाद उन नाबी त्‍यौहार
Eid Milad-Un-Nabi in Hindi

यह पर्व इस्‍लाम धर्म में बेहम महत्‍वपूर्ण है जैसे की हिन्‍दू धर्म में होली, दीपावल, दशहरा, नवरात्रि आदि है। इस पर्व की शुरूआत रबी अल अव्‍वल से हो जाती है इस महीने में इस्‍लाम के अ‍ंतिम पैगबंर हजरत मोहम्‍मद का जन्‍म हुआ था। तथा कई जगहो पर इस पर्व को बारावफात, ईद-मिलाद-ए-नबी या मीलादुन्‍नबी के नामों से भी जाना जाता है। इस पर्व वाले दिन सभी इस्‍लामी लोग छोटे से लेकर बूड़े तक मस्जिदों व अपने घरों में अपना पवित्र ग्रथं ”कुरान’ पढ़ते है। तथा साथ में नबी के बताए हुऐ नेकी के रास्‍ते पर चलने की प्ररेणा लेते है। और इस दिन पूरे विश्‍वभर में मस्जिदों को बहुत ही अच्‍छे तरीके से सजाया जाता है।

किन्‍तु सबसे ज्‍यादा मक्‍का की मस्जिद जो की सऊदी अरब में है। वहा पर य‍ह दिन सभी देनो में से खास माना जाता है। वहा पर सभी इस्‍लाम लोगे एक-दूसरे की दुश्‍मनी को भुलाकर साथ में इस पर्व को मनाते है। और वहा पर संसार को सबसे बड़ा ताजिया निकाला जाता है। इस ताज का दर्शन हमारे हिन्‍दु धर्म के लोग भी करते है और अल्‍ला से अपनी सभी मनोकामनाए पूर्ण करने के लिए प्रार्थना करते है।

ईद मिलाद-उन-नबी त्‍यौहार कब है (Eid Milad UN Nabi 2022 Date)

पूरे विश्‍व में मनाया जाने वाला यह पर्व ईद मिलाद उन नबी का त्‍यौहार इस्‍लामिक कैलेंड़न के अनुसार तो हर वर्ष तीसरे महीने में आता है और इस दिन रबी उल बारावफात के चॉद को भी देखा जा सकता है। बात करे इस साल की तो इस बार ईद मिलाद उन नबी त्‍यौहार 09 अक्‍टूबर 2022 रविवार के दिन है। इस दिन सभी मुस्लिम समुदाय के लोग जोर-जोर से पूरे शहरों में एहतराम के साथ अपना त्‍यौहार मनाते है। और एक दूसरे को ई मिलाद उन नबी की हार्दिक बधाइयों देते है।

Eid Milad-Un-Nabi Festival का इतिहास

Eid Milad-Un-Nabi Festival in Hindi
Eid Milad-Un-Nabi Festival in Hindi

Eid Milad-Un-Nabi Festival in Hindi:- यह त्‍यौहार प्राचनी समय से ही मनाते आ रहे है। किन्‍तु मुस्लिम समुदाय के लोग इसे अलग-अलग तरह से मनाते है। जैसे- सुन्‍नी सप्रंदाय, शिया सप्रंदाय आदि। आपको बता दे की शिया सप्रंदाय के लोग इस त्‍याैहार वाले दिन मुहम्‍मद साहब के जन्‍मदिन के रूम में बडे ही धूम धाम से मनाते है। तथा दूसरी ओर सुन्‍नी समुदाय के लोग इस पर्व को इतंकाल में रूप में मनाते है। आपकी जानकारी के तौर पर बता पैगम्‍बर हजरत मोहम्‍म्‍द साहब के जन्‍म से पहले इस्‍लाम धर्म के लोग बहुत ज्‍यादा खून खराबा करते थे। वो लोगे इंसान की छोटी सी गलती को ऊपर उसे मौत के घाट उतार देते थे। खासतौर पर लड़कियों के साथ यह अत्‍याचार ज्‍यादा होता था। लोग एक-दूसरे की जान लेने को तुले रहते थे।

किन्‍तु 571 ई. के तीसरे महीने में रबी अल अव्‍वल की 12 तारीख को पैंगबर हजरत मोहम्‍मद साहब को जन्‍म हुआ। इनका जन्‍म सऊदी अरब के मक्‍का शहर में एक गरीब मुस्लिम परिवार मेें हुआ था। इनकी माता का नाम अमीना बीबी व पिताजी का नाम अब्‍दुला था। जब मोहम्‍मद साहब धीरे-धीरे बड़े हुऐ तो उनको इस्‍लाम धर्म के बारे में सभी जानकारी हो गई।

जब वो बड़े हुऐ तो अल्‍ला ने उन्‍हे इस्‍लाम धर्म का पवित्र ‘कुरान’ को अता की थे। जिसके बाद उन्‍होने सभी जन-जन के पास इस इस्‍लाम कुरान का सदेंश पहुचाया। और सभी मुस्लिम समाज के लोगो को जीनो की राह बताई। इस्‍लामिक मान्‍यताओ के अनुसार पैंगबर मोहम्‍मद साहब को स्‍वयं अल्‍लाह (भगवान) ने फरिश्‍ते जिब्राईल के तहत का सदेंश दिया था। उसी सदेंश को हजरत मोहम्‍मद साहब ने कई देशो में प्रचार किया।

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दोस्‍तो आपको बता दे की इस्‍लाम धर्म में सुन्‍नी जाति के मुस्लिम तो ईद-ए-मिलाद का त्‍यौहार रबी के 12 वें दिन मनाते है। तथा दूसरी ओर शिय सप्रंदाय के लोग इस उत्‍सव Eid Milad-Un-Nabi Festival in Hindi को रबी के 17 वें दिन धूम-धाम से मनाते है।

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पैंगबर हजरत मोहम्‍मद साहब का परिचय (Eid Milad-Un-Nabi Festival in Hindi)

Eid Milad-Un-Nabi in Hindi:- हजरत साहब का जन्‍म 571 ईं अग्रेजी कैलड़र के अनुसार 20 अप्रैल 571 ई.वी. पूर्व मक्‍का के प्रमुख कुरैश कबीले में हुआ था। इनके माता व पिता अमीना बीबी व अब्‍दुला था। इनके जनम से पहले ही इनके पिता का देहांत हो गया था। बचपन से ही इनकी परवरिश चाचा अबू तालिब ने की थी। हजरत मुहम्‍मद साहब को 610 ई. में मक्‍का के पास हीरा नामक गुफा में ज्ञान की प्राप्ति हुई। जिसके बाद 24 सितम्‍बर 622 ई. को पैगम्‍बर के मक्‍का से मदीना की यात्रा इस्‍लाम जगत में मुस्लिम संवत् (हिजरी संवत्) के नाम से जाना जाता है। जब हजरत मोहम्‍मद 25 वर्ष के हुए तो इनकी शादी खदीजा नामक विधवा के साथ हुई।

जिसके बाद इनके एक बेटी हुई जिसका नाम ‘फातिमा’ और इनके दामाद का नाम ‘अली’ था। बेटी की शादी करने के बाद ऐ इस्‍लाम धर्म का प्रचार करने लगे। ”कुरान” इस्‍लाम धर्म का पवित्र ग्रंथ है। जिसमें 114 अध्‍याय और 6,360 पद्य है। इन्‍होने अपने पूरी जीवन काल में कुरान की शिक्षाओं का उपदेश दिया। जिसके बाद हजरत मुहम्‍मद साहब की मृत्‍यु 8 जून 632 ई. को हो गई। जिसके बाद इनको पार्थिव शरीर को मदीना में दफनाया गया था। इनकी मृत्‍यु के बाद इस्‍लाम सुन्‍नी व शिया नामक दो पंथो में विभाजित हो गया। सुन्‍नी पंथ के लोग इन्‍हे कहते है जो सुन्‍ना में विश्‍वास करते है। जो पैगम्‍बर हजरत मुहम्‍मद साहब के कथनों तथा कार्यो का विवरण है।

किन्‍तु शिया पंथ के लोग अली की शिक्षाओं में विश्‍वास करते है। तथा उन्‍हे मुहम्‍मद साहब का न्‍यायसम्‍मत उत्तराधिकारी मानते है। अली मुहम्‍मद साहब के दामाद थे। जिनकी हत्‍या 661 ई. में कर दी गई। तथा अली के पुत्र हुसैन की हत्‍या 680 ई. में कर्बला (इराक) नामक स्‍थान पर कर दी गई थी। इन दाेनो हत्‍याओ ने शिया ने निश्चित मत का रूप दे दिया। जिसके बाद पैगम्‍बर मुहम्‍मद साहब के उत्तराधिकारी ”खलीफा” कहलाए। जिसके बाद यह पद सन 1924 तक चलता रहा। सन 1924 में इसे तुर्की के शासक मुस्‍तफा कमालपाशा ने समाप्‍त कर दिया। और आज भी इस्‍लाम धर्म के लोग मुहम्‍मद साहब पैगम्‍बर के जन्‍म दिन पर ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का पर्व मनाते है।

बात करे भारत देश की तो यह पर सर्वप्रथम इस्‍लाम का आगमन अरबों के जरिऐ हुआ था। 712 में अरबों ने सिन्‍ध पर जीत हासिल कर भारत में इस्‍लाम धर्म की स्‍थापना की गई थी। जिसके बाद भारत में इस्‍लाम धर्म एक महत्‍वूर्ण धर्म बन गया। इस त्‍यौहार वाले दिन रात भर प्रार्थना की जाती है। सभी प्रकार के जुलूस निकाले जाते है। तथा मोहम्‍मद साहब के जन्‍म दिन पर जो गीत गाऐ जाते है उन्‍हे मौलूद कहा जाता है।

नोट:- नमाज के दौरान मुसलमान मक्‍का की तरफ मुॅह करके खड़े होते है। क्‍योकि भारत देश से मक्‍का पश्चिम की ओर पड़ता है। जिस कारण मक्‍का की ओर दिश को किबला कहा जाता है।

ईद-ए-मिलाद उन-नबी पर सुन्‍दर लेख (Eid Milad-Un-Nabi Festival in Hindi )

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Eid Milad-Un-Nabi Festival in Hindi

खुशीया और प्रेम बरसाते रहे, हम आपको इसी तरह याद आते रहे।

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दुआ है हमारी, आप हमेशा चॉद की तरह जगमागते रहे।।

जहॉ भी हो हम खुशिया बनाए रखे, सारी दुनिया में रब शांति बनाए रखे।

आप सभी को ईद-ए-मिलाद उन-नबी की हार्दिक शुभकामनाऐ दोस्‍तो……

दोस्‍तो आज के इस लेख में हमने आपको ईद-ए-मिलाद उन-नबी त्‍यौहार Eid Milad-Un-Nabi in Hindi के बारे में सम्‍पूर्ण जानकारी प्रदान की है। यदि ऊपर लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो लाईक करे व अपने मिलने वालो के पास शेयर करे। और यदि आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्‍न है तो कमेंट करके जरूर पूछ। धन्‍यवाद

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